चांदागड का ऐतिहासिक स्थल चंदनखेडा-विश्लेषन

Authors

  • Dr. R. S. Mishra Department of History Rajiv Gandhi College of Art & Science, Wardha, M.S

Keywords:

Chandagarh, Gond kingdom

Abstract

चंदनखेड़ा ग्राम इ.स. 1619 से इ.स. 1704 तक चांदागड के गोंडराजाओं के शासनकाल मे प्रसिद्ध था। यह परगना वरोरा से 28 किलोमीटर पर स्थित है। वर्तमान में चंदनखेड़ा ग्राम भद्रावती तहसील से 24 किलोमीटर पर है। मान्यता प्राप्त भारतीय नक्शे में चंदनखेड़ा यह ग्राम वर्तमान मे मौजूद है और समुद्र तट से 207 मीटर ऊंचाई पर है। इ.स. 1619 से इ.स. 1704 के समय चांदागड के गोंडराजा बिरशहा आत्राम इनके चचेरे भाई गोविंदशहा इन्हें चंदनखेड़ा ग्राम एवं आसपास के 30-40 मैल परीघ क्षेत्र के भूमि पर जमींदार के तौर पर नियुक्त किया गया था। गोंड राजा बिरशहा इनके अपने दामाद के साथ पारिवारिक समस्याओं के कारण युद्ध हुआ। उनके जमाई देवगढ़ के राजपुत्र  दुर्गपाल शाह थे। इन्हीं के साथ गोंड राजा बिरशहा का युद्ध हुआ इसमे जमाई दुर्गपाल शाह मारे गए। उनका सर काट कर राजा बिरशहा ने मां काली कंकाली देवी को दिए वचन के अनुसार अर्पित किया। उसी की प्रतिकृति पत्थर से बनाकर मंदिर के ऊपर स्थापित की गई है। इसी वजह से देवगढ़ के राजा बख्त बुलंद शाह ने अपने शूरवीर सरदार हीरामन को गुप्तचर बनाकर चांदागढ़ मे राजा बिरशहा का खून करने भेजा। उसके बाद इ.स. 1704 से अंग्रेजों का राज्य चांदागढ़ से समाप्त होने तक इन दोनों घरानों में मनस्वी दुश्मनी चलती रही।

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Published

2022-01-30

How to Cite

Mishra , R. S. . (2022). चांदागड का ऐतिहासिक स्थल चंदनखेडा-विश्लेषन. AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE, 3(1), 1–4. Retrieved from https://www.agpegondwanajournal.co.in/index.php/agpe/article/view/55